फ़ख्त जिंदगी
Wednesday, 10 April 2024
कविता
मैं देखूं बस पास को,
दूर न देखो जाए,
ऐसी गफलत न हो जाए कहीं,
"सरस" कहीं खो जाए।
आज जिस से न फर्क हो,
कल जरूरत पड़ जाए,
जिस पे वारा आज "सरस"
वो पीछे न हो जाए।।
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