Wednesday, 10 April 2024

कोविड़

मुद्दतों बाद मिली फुरसत ऐसी,
कफन की तलवार पर, गर्दन पे रखी,
ये देखो गर्दिश ने, रचा रूप कैसा,
इंसान ही नहीं, खुदा भी पाबंद हुया।

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