Wednesday, 10 April 2024

कविता

मेरे एकाकी जीवन की,
तुम हो कोई मूर्त कल्पना,
मेरे मन के भावों की,
तुम हो एक साकार सी रचना।

ऐ री मेरी प्यारी कविता।

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